मेरी आज की शायरी- डॉ. सुधामणि सूद
- राष्ट्रीय
- 18 Dec,2023
मौसम ही तो है जिंदगी बदलजाएगा,बुरा वक़्त कौन सा ठहर यहां जाएगाबदलने दो रूख हवा का ज़रा सापतझड़ भी गुलदस्ता' बहारां में बदल जाएगा " चाँद "
Posted By: Amrish Kumar Anand