मेरी आज की शायरी- डॉ. सुधामणि सूद

मौसम ही तो है जिंदगी बदलजाएगा,बुरा वक़्त कौन सा ठहर यहां जाएगाबदलने दो रूख हवा का ज़रा सापतझड़ भी गुलदस्ता' बहारां में बदल जाएगा " चाँद "